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शादी और नाराज रिश्तेदार लेखनी प्रतियोगिता -26-May-2024



शीर्षक:- शादी और नाराज  रिश्तेदार 


   "फूफाजी आप इस तरह अकेले चुपचाप  क्यौ बैठे हो? क्या किसीने आपसे कुछ  गलत कहा है? " ,गौरव ने सूरजमल से पूछा।

      "गौरव !! तू अपनी बूआजी को बुलाकर  लेकर आ । मुझे अभी गाँव वापिस  जाना है?", सूरजमल तुनक कर बोले।

      फूफाजी !! आप कुछ  तो बताओ ? आप इतने नाराज क्यौ होरहे हो? आपको बारात  में  जाना है। आप ही हमारे परिवार में सबसे बड़े हो।" दूल्हे के बड़े  भाई  गौरव ने समझाते हुए  कहा।

      "किसकी बारात? कौन बड़ा है ? मुझे इतनी बेइज्ज़त  कराकर  किसी की बारात  में नहीं जाना।" , सूरजमल अपने हाथ इधर उधर घुमाते हुए  बोले।

         "आपके साथ क्या होगया है? कुछ  मुझे भी बताओ , मैं भी तो जानू कि आपका अपमान  करने की हिम्मत  किसने की है?", गौरव मन्द मन्द मुस्कराहट के साथ पूछने लगा।

     गौरव की मुस्कराहट  को देखकर  सूरज मल के तन बदन में आग लग गई।

  वह कुर्सी से उठते हुए  बोले," अब  मैं यहाँ एक पल भी नहीं रुक सकता हूँ। मैं इस घर का सबसे पहला दामाद हूँ। मुझसे अधिक उस कल के छोकरे की आवभगत  होरही है?  " इतना कहकर  वह कमरे से अपना बैग उठाकर  ले आए।

         रामबाबू के दो बेटे व एक बेटी थी। बडे बेटे का नाम गौरव  व दूसरे बेटे का नाम सुमित  है बेटी रश्मि सबसे छोटी है। रश्मि की शादी पिछले साल ही बड़ी धूमधाम  से की थी। आज  सुमित  की शादी की बारात  जानी थी। उसीकी तैयारी चल रही थी। इस शादी में सभी रिश्तेदार  आये थे।

     इस शादी में रश्मि का पति अमन भी आया था। अमन अपने छोटे भाई  के साथ  पहली बार  ससुराल  आया था। इस शादी में रश्मि के फूफाजी भी आये थे। शादियौ में फूफा का आना अवश्य  होता है। और उनका रूठना आम बात  है।

     ऐसा ही सूरजमल के साथ  हुआ । अमन ससुराल  पहली बार  आया इसलिए  उसकी खातिरदारी कुछ  ज्यादा होरही थी, जिसे देखकर  सूरजमल  फूफाजी को लगा कि वह अमन से भी बड़े  दामाद  है लेकिन  उनको कोई  भी पूछ ही नहीं रहा है। इसलिए  वह अपना मुंह फुलाकर  बैठे थे। सुमित  की मन्द मन्द मुस्कराहट  ने आग में घी डालने का काम  कर दिया।

     हमारे यहाँ की शादी-ब्याह  में अगर कोई रिश्तेदार रूठे नहीं तबतक  शादी-ब्याह  में मजा नहीं आता है। फूफाजी अक्सर  अवश्य  ही यह रूठने का सगुन  अवश्य  करते ही है। फूफाजी का काम शादी-ब्याह  में रूठने की प्रथा सी बन गई  है।

     फूफाजी भी जानते है कि ये दामाद  का स्वागत  ज्यादा होता ही है  फिर  भी वह रूठदकर  दिखाते है और बाद मैं जल्दी ही मान भी जाते है।

   ऐसा ही सूरजमल  के साथ  हुआ। वह कुछ ही देर में चुप होकर बैठ गये। वह बारात  में भी गए  और वहाँ खूब डान्स  भी किया

आज की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "

     

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1 Comments

RISHITA

01-Jun-2024 07:40 PM

V nice

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